सोमवार 27 अक्तूबर 2025 - 08:36
अल्लामा नाईनी ने उसूल अल फिक्ह में एक विचारधारा की स्थापना की और फिक्ह के नज़री और अमली पक्षों को एक साथ जोड़ाः हुज्जतुल इस्लाम दिरायती

हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया ख़ुरासान के शिक्षक हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन दिरायती ने कहा कि अल्लामा मिर्ज़ा नाईनी ऐसे मुज्तहिद और नज़रियापरस्त थे जिन्होंने उसूल अल फिक्ह के वैज्ञानिक ठहराव को तोड़ कर इसे एक व्यवस्थित विचारधारा में बदल दिया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,  हौज़ा ए इल्मिया खुरासान के शिक्षक दिरायती ने मशहद मुकद्दस में हुई एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि नाईनी फिक्ह और असूल के उत्कृष्ट विशेषज्ञ थे और उनकी सोच ने इल्म-असूल को नई दिशा दी। उन्होंने इल्म-असूल में ऐसे नवाचार और गहरे नज़रीयात प्रस्तुत किए जिन्होंने जटिल मसलों को हल करने में मदद दी। उन्होंने हुस्न-ओ-कुब्ह, तलब व इरादा और हक़ीक़त-ए-हुक्म जैसे मूलभूत विषयों में नए विचार ढांचे स्थापित किए।

उनके अनुसार, आयतुल्लाह नाईनी के नज़र में 'हुक्म' यद्यपि एक तैशुदा चीज़ है, लेकिन यह हक़ीक़त-ए-ऐनी से अलग नहीं है। उन्होंने इतइबार और वाक़े के बीच ऐसा ताल्लुक समझाया कि शरीअत के हुकूमात और बाहरी विषयों के बीच एक तार्किक और अक्ली मेल हुआ, जो बाद के फिक़्ही मज़ाहिब पर गहरा असर डाला।

उन्होंने हौज़ा इलमिया के शिक्षक के रूप में कहा कि नाईनी की एक खासियत थी कि उन्होंने असूलों को अमली रूप दिया। इल्म-असूल को केवल नज़री बातें न बनाकर, इन्हें फिक़्ही इस्तिन्बात (निष्कर्ष निकालने) के काम में लिया।

उनके मुताबिक नाईनी ने इल्म-असूल और फिक्ह के बीच जो गैप था, उसे भरा और असूली क़वाइद को इस्तिन्बाती दलीलों के तौर पर रखा ताकि फुक़ाहा नज़री बातों से सीधे फिक़्ही नतीजों तक पहुंच सकें।

हुज्जतुल इस्लाम दिरायती ने कहा कि नाईनी ने उसूल के मुद्दो को अमली मानकों में ढालने की कोशिश की, जिसका एक उदाहरण उनकी 'इस्तिस्हाब-ए-अदम-ए-अज़ली' पर रिसर्च है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि नाइनी ने इस मसले को पारंपरिक अस्पष्टता से बाहर निकालकर एक मापदंड बनाया जो फिक़्ही इस्तिन्बात में लागू होता है। हालांकि आयतुल्लाह ख़ूई ने बाद में इस मानक पर विवाद किया, लेकिन नाईनी का यह वैचारिक कदम इल्म-असूल में एक बुनियादी मोड़ साबित हुआ।

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